इस शंका का उत्तर हैः-
स वैसे तो यह वेद सम्मत नहीं है कि पत्नी, पति के अत्याचारों से परेशान हो जाए तो रात को गंडासा लेके उसे काट दे, कोई हथियार लेकर उसको मार डाले। पति को मारना तो नहीं चाहिए।
स अगर पति के अत्याचारों से परेशान है तो वो राजा को शिकायत करे, कोर्ट में जाए कि, साहब मेरा पति मुझे परेशान करता है, उसको ठीक करें, न्याय करें। दरअसल,पत्नी को ऐसा करना चाहिए।
स यदि पत्नी ने पति की हत्या कर ही दी तो फिर अपराध तो किया है, अतः उसका दंड भी मिलेगा। अब क्या दंड मिलेगा ? यह तो पूरा-पूरा भगवान ही जाने, हम पूरा-पूरा नहीं समझ पाएंगें। कर्मफल बड़ा विचित्र है, बड़ा कठिन है, गंभीर है।
स यहाँ प्रश्न यह किया है कि अगर उसको जो सजा यहाँ मिलती है और वो काट ली तो क्या वो कम (माइनस( हो जाएगी? मान लीजिए, दस रुपये का दंड उसको ईश्वर के न्याय के अनुसार मिलना चाहिए और यहाँ सरकार ने छह रुपए का दंड (दुःख( दे दिया तो बाकी बचा चार रुपया। बस चार रुपए भगवान उसको दंड दे देगा। वो छह रुपए कम क्यों हुआ? दंड भोग लिया न, भोगना ही तो था। दस का भोगना था, छह का भोग लिया, अब चार बाकी बच गया। चार और मिल जाएगा। इस तरह से एक अपराध का दंड एक ही बार मिलता है, यह न्याय कहलाता है।