श्रीकृष्ण तथा ईसाईमत
(लुधियाना में पादरी बेरी साहब से प्रश्नोत्तरअप्रैल, १८७७)
स्वामी जी महाराज ३१ मार्च, सन् १८७७ को लुधियाना पहुंचे और
१९ अप्रैल, सन् १८७७ तक वहां रहे । इसी बीच में एक दिन पादरी वेरी
साहब, मिस्टर कारस्टीफन साहब बहादुर जूडीशल असिस्टैण्ट कमिश्नर सहित
वहां आये और स्वामी जी से कृष्ण जी के विषय में शंका की और बातचीत
के बीच में कहा कि कृष्ण जी के ऐसे कामों के साथ उनका महात्मा होना
बुद्धि स्वीकार नहीं करती । स्वामी जी ने कहा कियह जो अभियोग लगाये
जाते हैं सब निर्मूल हैं । उन्होंने ऐसा कोई कार्य्य नहीं किया परन्तु बुद्धि
के स्वीकार करने के विषय में तो क्या कहूं, जब बुद्धि यह स्वीकार कर
लेती है कि ईश्वर की आत्मा कबूतर के रूप में एक मनुष्य पर उतरी तो
इसके स्वीकार करने में कुछ अधिक कठिनाई नहीं होनी चाहिए ।
(लेखराम पृष्ठ ३१५)