ईश्वर कब और क्या-क्या सहायता देता है, और क्या-क्या नहीं देता?

ईश्वर बहुत प्रकार की सहायता देता है। एक तो सामान्य सहायता है, जो सबको दे रखी है। जिसने अच्छे कर्म किये हैं, उसको अच्छा फल, जिसने बुरा किया है, उसको बुरा फल देता है। अपने-अपने कर्मों का फल ईश्वर देता है। ये ईश्वर की सहायता है।
स ईश्वर की सहायता के बिना हम स्वयं अकेले अपने कर्मों का फल नहीं ले सकते। भगवान यूँ कहें कि अपना कर्म करो और अपने फल ले लो, मुझे बीच में क्यों चक्कर में डालते हो। क्या आप अपने कर्मों का फल स्वयं ले सकते हो? अपना कैरियर स्वयं बना सकते हो? न हम धरती अपने रहने के लिये बना सकते हैं, न हम स्वयं फल ले सकते। ईश्वर सबको न्यायानुसार सबके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ये ईश्वर की सामान्य सहायता है जो सबको दी जाती है।
स जो विशेष-पुरूषार्थ करता है, उसको ईश्वर विशेष सहायता देते हैं। उसको ईश्वर विशेष आनंद देते हैं, विशेष सुख देते हैं, अंदर से उत्साह बढ़ाते हैं। उसकी बु(ि बढ़िया बना देते हैं। जैसे- जो विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई करता है तो गुरूजी उसको विशेष सहायता देते हैं। उसको अतिरिक्त समय भी देते हैं कि- भई, ये मेहनती आदमी है। ईश्वर भी ज्ञान-विज्ञान बढ़ायेंगे, उत्साह बढ़ायेंगे, बु(ि बढ़ायेंगे और आनंद देंगे। ये ईश्वर की विशेष सहायता होगी। जो ईश्वर के आदेश का जितना अधिक पालन करेगा, ईश्वर उसको उतनी विशेष सहायता देगें।
स सूरज, चाँद, धरती, सितारे, अन्न, औषधि, वनस्पति, साग, फल, फूल, सब्जी, ये सारी चीजें ईश्वर ने बनाकर दे रखी हैं। ये सब ईश्वर की सहायता से हैं। उनके बिना हम कुछ नहीं कर सकते। न खा सकते हैं, न पी सकते हैं। इस प्रकार से ईश्वर हमारी सहायता करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *