हाँ बिल्कुल हो जाएगा, आप इस जन्म में नहीं खाते और संकल्प भी करते हैं कि यह बहुत बुरी चीज है, हम आगे भी नहीं खायेंगे। तो अगले जन्म में आप नहीं खायेंगे। आपके खाने-पीने के संस्कार बनेंगे ही नहीं। और जो पहले कभी थोड़ा-बहुत खाया भी हो, तो अब उसका आपने प्रायश्चित् कर लिया, और पक्का संकल्प कर लिया कि जो खा लिया, सो खा लिया, वो तो गलती हो गई। अब ऐसी गलती आगे नहीं करेंगे। तो आगे योगदर्शन में एक शब्द लिखा है, दग्धबीज करना’-जिस कार्य को दोबारा करने की इच्छा कभी भी न हो, उसको बोलते हैं-दग्धबीज। तो इस जन्म में तो शायद आप नहीं खायेंगे। बस बात खत्म हो गई। आपको कोई जबर्दस्ती, खिलाये तो भी नहीं खायेंगे। संस्कार अभी तो दग्धबीज जैसा ही हो गया। और यदि बिल्कुल कभी भी इच्छा नहीं होगी खाने की, तो इस कारण से संस्कार दग्धबीज हो गया।