आपने कहा था, हम लोग मोक्ष से धरती पर आए हैं। अगर हमें फिर मोक्ष मिले तो हमें मोक्ष में भी इस बात का भय, दुःख, चिंता लगी रहेगी कि हम कहीं वापस धरती पर न चले जाएं?

चिंता बिलकुल नहीं लगेगी। एक व्यक्ति ने अहमदाबाद से दिल्ली तक रेलवे आरक्षण कराया। उसको सीट मिल गई। उसको पता है कि मैं अहमदाबाद से बैठूँगा और दिल्ली स्टेशन पर जाकर मुझे रेलगाड़ी छोड़ देनी है। जैसे-जैसे दिल्ली का स्टेशन नजदीक आएगा तो क्या उसकी चिंता बढ़ती है? नहीं न। तो मोक्ष में भी चिंता क्यों बढ़ेगी? उसको पता है कि इतने समय का मोक्ष है और अब इतना समय पूरा होने वाला है। जब रेलगाड़ी छोड़ने में आपको चिंता नहीं है तो मोक्ष छोड़ने में भला क्यों चिंता होगी?
अगर आप बु(िमान हैं और न्याय से चलते हैं तो आपको चिंता नहीं होगी। अगर आप पक्षपाती हैं, अन्याय प्रिय हैं तो आपको चिंता होगी। मोक्ष वाला व्यक्ति पक्षपाती तो होता नहीं है। वो तो न्यायप्रिय होता है और वो न्याय से चलता है। भई जितना कर्म किया था, उसका फल पूरा हो गया, फिर कर्म करो, फिर मोक्ष में आ जाना। इसलिए कोई चिंता नहीं होगी।

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