जड़ वस्तु स्वयं क्रिया नहीं करती। शरीर जड़ है, वो स्वयं हिलता-डुलता, चलता-फिरता नहीं है। जब ‘आत्मा’ शरीर में जाता है, तब चेतन आत्मा की प्रेरणा से शरीर क्रिया करता है। ऐसे ही दीवार के परमाणुओं में क्रिया हो रही है। सब जगह परमाणु (एटम( घूम रहे हैं। एटम कौन घुमा रहा है? ईश्वर। ईश्वर के संयोग से वहाँ भी क्रिया हो रही है। अनार में हो रही है, केले के अंदर हो रही है, हर वस्तु में हो रही है। जितने एटम्स घूम रहे हैं, उन्हें तो ईश्वर घुमा रहा है। लेकिन जैसे शरीर में हाथ हिलता दिखता है, वैसे दीवार हिलती नहीं दिखती। दीवार हिलती, तो सभी भाग जाते। सोचते कि- कहीं वो हमारे सिर पर न गिर जाये। इसलिए वो ऐसी हिलती हुई नहीं दिखती, चुपचाप स्थिर है। लेकिन उसके अंदर क्रिया होती है। सूर्य में, पृथ्वी में, चाँद में, तारों में, यानि हर वस्तु में ऐसी क्रिया हो रही है। और वो क्रिया चेतन ईश्वर के संयोग से है। चेतन-ईश्वर उसमें क्रिया करता है। वस्तुतः हर वस्तु क्रियाशील है। एक साइंटिस्ट से पूछिये- वो बताएगा, कि क्या क्रिया हो रही है। सेव में, केले में क्रिया होती है। सेव रखा-रखा सड़ जाता है। आपको हिलता तो नहीं दिखता, मगर सड़ जाता है। ऐसा इसलिये, क्योंकि इसके परमाणुओं में सूक्ष्म-रूप से आंतरिक क्रिया होती है। इलेक्ट्रॉन्स घूमते रहते हैं, एटम्स सारे घूमते रहते हैं, जिसके कारण उसमें वृ(ि-हृास होता रहता है। सेव, केले में यह क्रिया तीव्र होती है। सेव, केला दो-तीन दिन में सड़ जाएगा। दीवार में ये क्रिया उतनी तीव्र नहीं होती, उससे बहुत कम होती है। दीवार को टूटने में सौ-दो सौ साल लग जाते हैं। इसमें ज्यादा समय लगता है। प्रत्येक पत्थर, दीवार आदि पदार्थों में गति क्रिया होने के कारण ही वे पदार्थ धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। और यदि आप यह चाहते हैं, कि दीवार आदि पदार्थ भी चेतन ईश्वर के कारण चलने फिरने लगें, (जैसे-आत्मा के कारण शरीर चलता फिरता है( तो व्यवहार करना कठिन हो जाएगा। क्योंकि ईश्वर तो सभी वस्तुओं में है। तब सभी चीजें चलने लगेंगी। तो आप अपना सामान त्र (रुपये, सोना, चाँदी, बर्तन, बिस्तर आदि( जहाँ रखकर ऑफिस जाएँगे। और जब शाम को ऑफिस से लौटकर आयेंगे, तब आपका सामान आपको वहाँ मिलेगा नहीं, जहाँ आप रखकर गये थे। सुबह से शाम तक आपका मकान त्र (घर( भी 5-7 किलोमीटर दूर चला गया होगा। तब बताइये, आपका जीवन-व्यवहार कैसे चल पाएगा।