अपने देश-धर्म के लिये झूठ बोलना पाप है या नहीं?

झूठ बोलना तो पाप ही है। चाहे देश के लिये बोलो या धर्म के लिये बोलो। दोष तो लगेगा ही।
स यह ‘मिश्रित-कर्म’ माना जायेगा। यदि आपके झूठ बोलने से देश की रक्षा होती है, देश का भला होता है, तो ठीक है, जितना भला होता है, उतना पुण्य। और जितना झूठ बोला, उसका पाप। यह मिश्रित कर्म कहलाता है।
स वेदों में केवल राजा को आपत्ति काल में झूठ बोलने की छूट है। और वह भी प्रजा की रक्षा करने के लिये, अपने स्वार्थ की सि(ि के लिये नहीं। जैसे कि- राजा गुप्तचर विभाग (ब्ण्प्ण्क्ए ब्ण्ठण्प्( रखे। चोर, डाकू, आतंकवादियों को पकड़ने और दंडित करने और देश की रक्षा करने के लिये छल-कपट का प्रयोग करें। केवल क्षत्रियों को छूट है, आम जनता को नहीं। दुष्टों को मारने के लिए क्षत्रियों को थोड़ी सी छूट दी गई है। उसको भी दोषयुक्त माना है, पूर्ण शु( तो उसको भी नहीं माना।
स उसको भी इसीलिये दोषयुक्त माना, कि जो उन्होंने झूठ, छल-कपट का प्रयोग किया। इससे उनका मोक्ष रूक जायेगा। उनको मोक्ष नहीं मिलेगा।
स इसलिये राजाओं को राजगद्दी छोड़नी पड़ी। आप इतिहास को उठाकर देखें। राजा जनक ने राजगद्दी छोड़ दी। राजा भरत ने राजगद्दी छोड़ दी। राजा अशोक ने राजगद्दी छोड़ दी और ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं। कई राजा लोग अपनी गद्दी छोड़ के गये। क्योंकि उनको समझ में आ गया, कि राजा बने रहते हुये हमारा मोक्ष होने वाला नहीं है।
स गाय की रक्षा के लिए जाओ, हड़ताल करो। रेलवे वाले कर्मचारी रेल की स्ट्राइक, बस वाले कर्मचारी बस की स्ट्राइक, यूनिवर्सटी वाले विद्यार्थी यूनिवर्सटी की स्ट्राइक करते हैं, तो गौ की रक्षा के लिए आप हड़ताल क्यों नहीं करते? उसके लिए अनशन करो, हड़ताल करो। आंदोलन करोगे, सरकार झुकेगी। यदि उसको वोट चाहिए, तो सब कुछ मानेगी। परन्तु आम जनता झूठ बोले, यह बात वेद विरू( है। यह बात उन स्वार्थी लोगों ने समाज में फैलाई है, जो स्वयं झूठे हैं, झूठ से प्रेम करते हैं। झूठ को प्रोत्साहन देने बाले ऐसे लोगों को ईश्वर दण्ड देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *