इसका अभिप्राय यह है कि जैसे शरीर में मुख श्रेष्ठ है ऐसे सब
वर्णों में ब्रह्म का जानने वाला श्रेष्ठ है । इसी कारण कह दिया कि ब्राह्मण
मुख से हुआ इसी प्रकार और वर्णों का समझ लो ।
इसका अभिप्राय यह है कि जैसे शरीर में मुख श्रेष्ठ है ऐसे सब
वर्णों में ब्रह्म का जानने वाला श्रेष्ठ है । इसी कारण कह दिया कि ब्राह्मण
मुख से हुआ इसी प्रकार और वर्णों का समझ लो ।