विषय को पढ़कर आप सभी चौंक जरूर गए होगे की ये क्या लिखा – सभी ईसाई ऐसा मानते हैं – ईसाई भाई कुछ इस प्रकार कहते हैं कि ईसा ने अपना बलिदान मनुष्यो के लिए दिया जिससे अब जो ईसा को “खुदा का बेटा” माने तो निश्चित ही स्वर्ग जायेगा – ये भी मात्र कपोल कल्पना ही है – क्योंकि यदि ईसा ने अपने आप बलिदान दिया होता तो क्रॉस पर चढाने से पहले और क्रॉस पर भी अपने मारे जाने से दुखी न होता न ही अपनी जान बचाने को ईश्वर से प्रार्थना करता और न ही ईसा मरकर पुनः जिन्दा हो गए थे मगर हमारे ईसाई भाइयो को इसमें भी शायद कोई संदेह दिखलाई नहीं देता इसीलिए इस भ्रान्ति को बहुत बड़ा चमत्कार बताते हुए नासमझ और भोले भाले हिन्दू भाइयो को बहकाते हैं – उनको स्वर्ग का सब्जबाग दिखाते हैं – और हिन्दू भाई इस स्वर्ग के लालच में आकर इस भ्रान्ति को चमत्कार मान अंगीकार करते हुए अपना शुद्ध वैदिक धर्म छोड़ ईसाइयो के अन्धविश्वास और पाखंड रुपी चंगुल में फंस जाते है।
इस चंगुल में फंस कर न तो कभी स्वर्ग अथवा नरक को समझ पाता – और मुक्ति विषय तो पूछिये ही मत क्योंकि जो व्यक्ति अंधविश्वास और पाखंड में सदैव लिप्त रहेगा वो कभी इस जन्म मरण के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता – हाँ अपने किये कर्मो द्वारा स्वर्ग (सुख विशेष) और नरक (दुःख विशेष) प्राप्त अवश्य करता है और इस प्रकार के स्वर्ग नरक को प्राप्त करवाने हेतु कोई ईसा मूसा मुहम्मद आदि की गवाही और राह पर चलना जरुरी नहीं – क्योंकि जो व्यक्ति जैसे कर्म करता वैसे ही फल भोगता है – ये ईश्वरीय विधान है – इसमें कोई तथाकथित “ईश्वर का बेटा” या नबी अथवा रसूल कोई कुछ कम बढ़ती नहीं करवा सकता –
खैर हम विषय पर चलते हैं – विषय है क्या क्या ईसा मरकर अपना बलिदान दिया और पुनः जिन्दा भी हुए थे ?
पूरी बाइबिल (ओल्ड + न्यू टैस्टमैंट) को यदि आप ध्यानपूर्वक पढ़ लेवे तो आपकी शंका खुद ही खत्म हो जाएगी क्योंकि अलग अलग चैप्टर (अध्याय) में अलग अलग तरीके से बताया गया है – जिससे ईसा के मरने पर ही शंका हो जाती है –
दुबारा जिन्दा होने की तो बात ही छोड़िये – दुबारा जिन्दा तो तब होगा न भाई जब कोई मर गया हो – बाइबिल पढ़ने से तो यही ज्ञात होता है की ईसा साहब मरे ही नहीं थे – वे तो जिन्दा थे – इससे मरकर दुबारा जिन्दे होने का सवाल ही पैदा नहीं होता – और जब मरे ही नहीं तो बलिदान कैसा ?
जबकि सच्चाई यह है की अपनी जान बचाने के लिए ईसा ईश्वर से बार बार प्रार्थना करते नजर आये – यहाँ तक कि वो समय जिसमे ईसा को सूली पर चढ़ाया गया उस समय को टालने (अपने आप से हटाने) तक के लिए प्रार्थना की थी।
आइये सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं –
1. हे मेरे पिता ! जो हो सके तो यह कटोरा (सूली की मृत्यु) पास से टल जाए। (मत्ती २६:३९)
2. यदि हो सके तो यह घड़ी (मौत) उससे टल जाए। (मरकुस (मार्क) १४:३५)
3. यह बात कहकर यीशु आत्मा में घबराया। (यूहन्ना १३:२१)
4. उसने अपने शरीर के दिनों में ऊँचे शब्द से पुकारकर और रोकर, उससे जो मृत्यु से बचा सकता था, विनती की, निवेदन किये। (इब्रानियों को पत्र ५:७)
5. यीशु ने बड़े जोरो से पुकार कर कहा – “एलीएली लामा शवकतनी” अर्थात हे मेरे ईश्वर ! तूने मुझे क्यों त्यागा है ? (मत्ती २७:४)
उपरोक्त यीशु द्वारा की गयी प्रार्थनाओं और रुदन से स्पष्ट है की यीशु ने कोई बलिदान नहीं दिया – क्योंकि जो बलिदान होता है – उसमे ऐसे प्रार्थना और रुदन नहीं होता –
उदहारण के लिए शहीद भगत सिंह आदि वीरो को देखिये जब उन्हें फांसी के लिए ले जाया जा रहा था तो उन्हें कोई दुःख नहीं था – बल्कि वतन के लिए क़ुर्बान होने का सुख था – और वो “मेरा रंग दे बसंती चोला” गाकर जेलख़ानो में सुनाया गया – इसे कहते हैं बलिदान।
“सच्चा बलिदान”
अब हमारे ईसाई भाई कैसे इस “हत्या के षड्यंत्र” को ईसा का बलिदान सिद्ध करेंगे ? जबकि ईसा खुद स्वेच्छा से सूली पर नहीं चढ़ा – उसको तो मारने का षड्यंत्र किया गया क्योंकि ईसा ने अपने आप को “ईश्वर का बेटा” घोषित करने की मिथ्या चाल चली थी – जो की उस समय के कानून के हिसाब से दण्डित कृत्य था –
खैर जो भी हो अभी तो ईसाई भाई केवल यही बता देवे की जब ईसा ने अपना बलिदान ही नहीं दिया जैसे की बाइबिल खुद सिद्ध करती है – तो आप ईसाई ऐसा शोर क्यों मचाते हो की ईसा ने अपना बलिदान मनुष्यो के लिए दिया और जो ईसा को माने सो स्वर्ग का अधिकारी होगा ?
अभी भी समय है – पाखंड छोड़िये – और सत्य सनातन वैदिक धर्म को अपनाये – चाहे ईसा को मानो या न मानो – अपने कर्मो के आधार पर सभी स्वर्ग (सुख विशेष) के अधिकारी हैं –
इसलिए ये स्वर्ग का लालच छोड़ – शुद्ध और सात्विक कृत्य करे – वेदो की और लौटे
खैर अब आगे देखते हैं – क्या यीशु सूली पर मर गए थे और पुनः जिन्दा हो गए ?
अन्धविश्वास और पाखंड रुपी चंगुल
अगले भाग में …….
Tu janda he ke आ yahowa बारे tuci आप 33 करोड़ devi देवते nu mande लगदे आ
ham to ek hee ishwar men vishwas karte hein bhai