मित्रो जैसे की पिछली तीन पोस्ट से ये कारवां चलता आ रहा है की सत्य को सामने रखा जाए – और असत्य को दूर फेक दिया जाए – उसी कड़ी में पेश है – एक और सत्य की खोज।
हजरत याकूब (इजराइल) के 12 पुत्र हुए :
1. रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, जबूलून –
ये छह बेटे याकूब की पहली बीवी लिआ से हुए
2. युसूफ और बिन्यामीन – दूसरी बीवी राहेल से हुए
3. दान और नप्ताली – राहेल की दासी बिल्हा से थे
4. गाद और आशेर – ये लिआ की दासी जिल्पा से हुए।
(उत्पत्ति ३५:२३-२६)
ये तो हुआ संछिप्त परिचय – अब आप सोचोगे इसमें चरित्रहीनता कहाँ है ?
भाई लोगो – पहली चरित्रहीनता तो यही देख लो – की हजरत याकूब जो एक ईसाई पैगम्बर थे – उनकी एक नहीं दो दो बीवियां थी – क्या ये कम चरित्रहीनता है ?
चलो इसे चरित्रहीनता नहीं कहते – ये शादी थी। मगर क्या अपनी पत्नी की दासियों के साथ बिना शादी किये संतान पैदा करना चरित्रहीनता नहीं है ?
चलो एक बार को माना की दासी के साथ भी विवाह किया था – अव्वल तो ये संभव ही नहीं था – फिर भी यदि मान लिया जाए तो – अपनी पत्नी को सुरक्षा की जिंदगी देना ये एक मनुष्य का कर्तव्य होता है – लेकिन हजरत याकूब जो एक महान पैगम्बर थे – अपने बेटे को अच्छी शिक्षा तक न दे सके – क्या ये महानता की बात थी ?
मैं चरित्रहीनता इसलिए कहता हु की एक पैगम्बर होने के नाते समाज को और अपने परिवार को सुशिक्षा देना ही पैगम्बर का कार्य होता है – मगर ये कैसे पैगम्बर जिनके बेटे ने अपनी ही माँ के साथ कुकर्म कर दिया ?
देखिये –
जैसे की आपने ऊपर पढ़ा – रूबेन – याकूब की पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र हुआ था – मगर उसका आचरण इतना भ्रष्ट था की उसने अपनी ही सौतेली माँ के साथ कुकर्म किया।
इजराइल (याकूब) वहां थोड़े समय ठहरा। जब वह वहां था तब रूबेन इजराइल (याकूब) की दासी बिल्हा के साथ सोया। इजराइल ने इस बारे में सुना और बहुत क्रुद्ध हुआ।
(उत्पत्ति ३५:२२)
अब इस बात का थोड़ा गणित समझिए।
इजराइल (याकूब) के बीवी राहेल पुत्र को जन्म देते समय मर गयी तो – तो याकूब उसे दफनाने में व्यस्त था – बस फिर क्या था रूबेन को मौक़ा मिल गया – और उसने अपनी ही माँ का बलात्कार किया।
अब ऐसे ऐसे पिता पुत्र जिस समाज – कुल के पैगम्बर हुए हो – उस समाज से आप किस प्रकार की शिक्षा की उम्मीद कर सकते हैं ?
रूबेन के इस पाप की सुचना जब याकूब को मिली – तो उसने उसे क्या सजा दी ? क्या कोई ईसाई मित्र बताने का कष्ट करेगा ?
मेरे ईसाई मित्रो इस पापयुक्त आचरण को छोडो = सत्य सनातन वैदिक धर्म से नाता जोड़ो =
आओ लौटो वेदो की और
नमस्ते