अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक नहीं

allah not omnipresent

अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक  नहीं

– जब हमने फरिश्तों से कहा कि बाबा आदम को दण्डवत करो देखो सभी ने दंडवत किया परन्तु शैतान ने न माना और अभिमान किया क्योंकि वो भी एक काफिर था |म १ सी १ सु २ आ ३४

समीक्षक – इससे खुदा सर्वज्ञ नहीं अर्थात भुत भविष्यत् और वर्त्तमान की पूरी  बातें नहीं जानता जो जानता हो तो शैतान को पैदा ही क्यों  किया। ? और खुदा में कुछ तेज भी नहीं है क्योंकि शैतान ने खुदा का हुक्म ही न माना और खुदा उस का कुछ भी न कर सका और देखिये ! एक शैतान काफिर ने खुदा का भी छक्का छुड़ा दिया तो मुसलमानो के कथनानुसार भिन्न जहाँ करोड़ों काफिर हैं वहाँ मुसलमानों के खुदा और मुसलमानों की क्या चल सकती है ? कभी कभी खुदा भी किसी का रोग बड़ा देता और किसी को गुमराह कर देता है।  खुदा ने ये बातें शैतान  से सीखीं होंगी और शैतान ने खुदा  से क्योंकि वीणा खुदा के शैतान का उस्ताद और कोई नहीं हो सकता|

– हमने कहा कि ओ आदम ! तू और तेरी जोरू बहिश्त में रह कर आनंद में रहो जहाँ चाहो खाओ परन्तु मत समीप जाओ उस वृक्ष के कि पापी हो जाओगे।  शैतान ने उनको डिगाया और उन को बहिश्त के आनंद से खो दिया।  तब हम  ने कहा कि उतरो तुम्हारे में कोई परस्पर शत्रु है तुम्हारा ठिकाना पृथवी है और एक समय तक लाभ है।  आदम अपने मालिक की कुछ बातें सीखकर पृथ्वी पर आ गया।  म १ सी १ सु २ आ ३५ ३६ ३७

समीक्षक – अब देखिये खुदा की अल्पज्ञता ! अभी तो स्वर्ग में रहने का आशीर्वाद दिया और पनाह दी और थोड़ी देर में कहा कि निकलो जो भविष्यत्  को जनता होता तो वर ही क्यों देता ? और बहकाने वाले शैतान को दंड देने से असमर्थ भी दीख पड़ता है ।  और वह वृक्ष किस के लिए उत्पन्न किया था क्या अपने लिए वा दूसरे के लिए जो अपने लिए किया तो उस को क्या जरुरत थी और जो दूसरे के लिए तो क्यों रोका इसलिए ऐसी बातें न खुदा की और न उसके बनाये पुस्तक में हो सकती हें | आदम साहेब खुद से कितनी बातें सीख आये ? और जब पृथ्वी पर आदम साहेब आये तब किस प्रकार आये ? क्या वह बहिश्त पहाड़ पर है वा आकाश पर उस से कैसे उतर आये अथवा पक्षी के तुल्य आये अथवा जैसे ऊपर से पत्थर गिर पड़े ?

इसमे यह विदित होता है कि जब आदम साहेब मट्टी से बनाये गए तो इनके स्वर्ग में मिट्टी होगी और इतने वहाँ और हैं वे भी वैसे ही फ़रिश्ते आदि होंगे  क्योंकि मट्टी के शरीर वीणा इन्द्रिय भोग नहीं हो सकता जब पार्थिव शरीर है तो मृत्य भी अवश्य होना चाहिए यदि मृत्यु होता है तो वे वहाँ  से कहाँ जाते हैं ?और मृत्यु नहीं होता तो उनका जन्म भी नहीं हुआ जब जन्म है तो मृत्यु अवश्य ही है यदी ऐसा है तो कुरान  में लिखा है कि बीबियाँ सदैव बहिश्त में रहती हैं सो झूठा हो जावेगा क्योंकि उन का भी मृत्यु अवश्य होगा जब ऐसा है तो बहिश्त में जाने वालों का भी मृत्यु अवश्य होगा |

यदी अल्लाह सब जगह है तो मुसलमान केवल मक्का की तरफ मुंह क्यूँ  करते हैं ?

– तुम जिधर मुंह करो उधर ही मुंह अल्लाह का है।  म १ सी १ सु २ आ ११५

समीक्षक – जो यह बात सच्ची है तो मुसलमान ‘क़िबले ‘ की और मुंह क्यों करते हें ? जो कहें कि हम को किबले की और मुंह करने का हुक्म है तो यह भी हुक्म है कि चाहे जिधर की और मुख करो।  क्या एक बात सच्ची और दूसरी झूठी होगी ? और जो अल्लाह का मुख है तो वह सब और हो ही नहीं सकता। क्योंकि एक मुख एक और रहेगा सब और क्योंकर रह सकेगा? इसलिए यह संगत नहीं.

– जब तेरे पास से निकलते हैं तो तेरे कहने के सिवाय (विपरीत ) सोचते है ।  अल्लाह उन की सलाह को लिखता है।  अल्लाह ने उन की कमाई वस्तु के कारण से उन को उलटा किया।  क्या तुम चाहते हो कि अल्लाह के गुमराह किये हुए को मार्ग पर लाओ ? बस जिनको अल्लाह गुमराह करे उसको कदापि मार्ग न पावेगा | म १ सी ५ सु ४ आ ८१-८८

समीक्षक : – जो अल्लाह बातों को लिख बहीखाता बनाता जाता है तो सर्वज्ञ नहीं।  जो सर्वाज्ञ है तो लिखने का क्या काम ? और जो मुसलमान कहते हें कि शैतान ही सब को बहकाने से दुष्ट हुआ है तो जब खुदा ही जीवों को गुमराह करता है तो खुद और शैतान में क्या भेद रहा ? हाँ ! इतना कह सकते हैं कि खुदा बड़ा शैतान वह छोटा शैतान! क्योंकि मुसलमानो ही का काम  है कि जो बहकाता है वही शैतान हो तो इस  प्रतिज्ञा से खुद को भी शैतान बना दिया |

– निश्चय ही तुम्हारा मालिक अल्लाह है जिस ने आसमानों और पृथ्वी को ६ दिन में उत्पन्न किया। फिर करार पकड़ा अर्श पर, दीनता  से अपने मालिक को पुकारो।  म २ सि  ८ सु ७ आ ५४, ५६

समीक्षक : भला ! जो ६ दिन में जगत को बनावे , (अर्श ) अर्थात ऊपर के आकाश में सिंहासन पर आराम करे वह ईश्वर सर्वशक्तिमान और व्यापक कभी हो सकता है ? इस के न होने से वह खुद भी नहीं कहा सकता।  क्या तुम्हारा खुद बधिर है जो पुकारने से सुनता है ? ये सब बातें अनीश्वरकृत है ।  इस से क़ुरान ईश्वरकृत नहीं हो सकता। यदि ६ दिनों में जगत बनाया सातवें दिन अर्श पर आराम किया तो थक भी गया होगा और अब तक सोता है वा जागा है यदी जागता है तो अब कुछ काम करता है व निकम्मा सैर  सपट्टा और ऐश करता  फिरता है |

– मत फिरो पृथ्वी पर झगड़ा करते। म -२ सी -८ सु -७ आ ७४

समीक्षक – यह बात तो अच्छी है परन्तु इस से विपरीत दूसरे स्थानों में जिहाद करना काफिरों को मरना भी लिखा है।  अब कहो यह पूर्वा पर विरद्ध नहीं है ? इस से यह विदित होता है कि जब मुहम्म्द साहेब निर्बल हुए होंगे तब उन्होंने यह उपाय रचा होगा और जब सबल हुए होंगे तब झगड़ा मचाया होगा इसी से ये बातें परस्पर विरुद्ध होने से दोनों सत्य नहीं हैं।

– बस एक ही बार अपन असा दाल दिया और वह अजगर था प्रत्यक्ष।  म -२ सी ९ सु ७ आ १०७

समीक्षक – अब इस के लिखने से विदित होता है कि ऐसी झूठी बातों को खुद और मुहम्म्द साहेब मानते थे जो ऐसा है तो ये दोनों विद्वान नहीं थे क्योंकि जैसे आँख से देखने को और कान से सुनाने को अन्यथा कोई नहीं कर सकता इसी से ये इंद्रजाल की बातें हैं।

– बस हम ने उन पर मेह का तूफ़ान भेजा।  टीडी चिचड़ी और मेढक और लोहू।  बस उन से हमने बदला लिया औ उनको डुबो दिया दरियाव में और हम ने बनी इस्राइल को दरियाव से पार उतार दिया।  निश्चय वह दीं झूठा है कि जिस में वे हैं उन का कार्य भी झूठा है।  म -२ सी ९ सु -७ आ १३३ १३६ १३७ १३७ १३९।

समीक्षक – अब देखिये ! जैसा कोई पाखंडी किसी को डरावे कि हम  तुझ पर सर्पों को काटने के लिए भेजेंगे ऐसी ही यह भी बात है भला जो ऐसा पक्षपाती कि एक जाती को डूबा दे और दूसरी को पार उतारे वह अधर्मी खुदा क्यों नहीं जो दूसरे मतों को कि जिन में हजारों करोड़ों मनुष्य हों झूठा बतलावे और अपने को सच्चा उस से परे झूठा मन कौन हो सकता है ? क्योंकि किसी मत में सब मनुष्य बुरे और भले नहीं हो सकते।  यह एकतर्फी डिग्री करना महामूर्खों का मत है।  क्या तौरेत जबूर का दीं जो कि उन का था झूठा हो गया ? व उन का कोई अन्य मजहब था कि जिस को झूठा कहा और जो वह अन्य मजहब था तो कौन सा था कहो कि जिस का नाम क़ुरान में हो |

– सदा रहेंगे बीच उस के , अल्लाह समीप है उस के पुण्य बड़ा ऐ लोगों जो ईमान लाये हो मत पकड़ो बापों अपने को और भाइयों अपने को मित्र जो दोस्त रखें कुफ्र को ऊपर ईमान के फिर उतारी अल्लाह ने तसल्ली अपनी ऊपर रसूल अपने के और ऊपर मुसलमानों के और उतारे लश्कर नहीं देखा तुम ने उनको और अजाब किया उन लोगों को और   यही सजा है काफिरों को।  फिर फिर आवेगा अल्लाह पीछे उस  के ऊपर  और लड़ाई करो उन लोगों  ईमान नहीं लाते। म २ सि १० सु ९ आ २२ /२३/२६/२७

समीक्षक – भला जो बहिश्त वालों के समीप अल्लाह रहता है तो सर्व्यापक क्योंकर हो सकता है ? जो सर्वव्यापक नहीं तो सृष्टि कर्ता और न्यायाधीश नहीं हो सकता और अपने माँ बाप भाई और मित्र को छुड़वाना केवल अन्याय की बात है हाँ जो वे बुरा उपदेश करें न मानना परन्तु उनकी सेवा सदा करनी चाहिए जो पहिले खुदा मुसलमानों पर बड़ा संतोषी था और उनके सहाय के लिए लश्कर उतारता था सच हो तो अब ऐसा क्यों नहीं करता ? और जो प्रथम काफिरों को दण्ड देता और पुनः उसके ऊपर आता था तो अब कहाँ गया कहाँ गया ?क्या वीणा लड़ाई के ईमान खुदा नहीं बना सकता ? ऐसे खुदा को हमारी और से सदा तिलांजलि है खुदा क्या है एक खिलाड़ी है ?

-और हम बाट देखने वास्ते हैं वास्ते तुम्हारे यह कि पहुंचावें तुम को अल्लाह अजाब अपने पास से वा हमारे हाथों से.म -२ सी १० सु ९ आ ५२

समीक्षक – क्या मुसलमान ही ईश्वर की पुलिस  बन गए हैं कि अपने हाथ वा मुसलामानों के हाथ से अन्य किसी मत वालों को पकड़ा देता है ? क्या दूसरे करोड़ों मनुष्य  ईश्वर को  अप्रिय हैं ? मुसलमानों में पापी भी प्रिय हैं ? यदि ऐसा है तो अंधेर नगरी गवरगंड वे भी इस निर्मूल आयुक्त मत को मानते हैं.

– तदबीर करता है काम की आसमान से तर्फ पृथ्वी की फिर चढ़ जाता है तर्फ उस की बीच एक दिन के कि है अवधी उसकी सहस्त्र वर्ष उन वर्षों  से कि गिनते हो तुम।  यह है जानने वाल गैब का और प्रत्यक्ष का ग़ालिब दयालु।  फिर पुष्ट किया उस को और फूंका बीच रूह अपनी से कह कब्ज करेगा तुम को फरिश्ता मौत का वह जो नियत किया गया है साथ तुम्हारे और जो चाहते है  एक जीव को शिक्षा उस की परन्तु सिद्ध हुयी बात मेरी ओर  से कि अवश्य भरुंगा में दोजख को जिनों से और आदमियों से इकट्ठे।  म – ५ सी २१ सु ३२ आ ५/६/९/११/१३/

समीक्षक – अब ठीक सिद्ध हो गया कि मुसलमानों का खुद मनुष्यवत एकदेशी है।  क्योंकि जो व्यापक होता तो एकदेश से प्रबंध करना और उतरना चढ़ना नही हो सकता। यदि खुद फ़रिश्ते को भेजता है तो भी आप एकदेशी हो गया | आप आसमान पर टंगा बैठा है और फरिश्तों को दौड़ता है यदि फ़रिश्ते  मामला बिगाड़ दें व किसी मुर्दे को छोड़ जाएँ तो खुद को क्या मालूम हो सकता है? मालूम तो उस को हो कि जो सर्वज्ञ तथा सर्वव्यापक हो सो तो है ही नहीं ; होता तो फरिश्तों के भेजने तथा कई लोगों की कई प्रकार से परिक्षा लेने का क्या काम था ? और एक हजार वर्षों में तथा आने जाने प्रबंध करने से सर्वशक्तिमान भी नहीं। यदि मौत का फरिश्ता है तो उस फ़रिश्ते का मारने वाला कौन सा मृत्यु है ? यदि वह नित्य है तो अमरपन में खुद के बराबर शरीक हुआ. एक फरिश्ता एक समय में दोजख भर के उन को दुःख देकर तमाशा देखता है तो वह खुदा पापी अन्यायकारी और दयाहीन है !. ऐसी बातें जिस पुस्तक में हों न वह विद्वान और ईश्वरकृत और जो दया न्यायहीन है वह ईश्वर भी कभी नहीं हो सकता।

– कह कि कभी न लाभ देगा भागना तुम को जो भागो तुम मृत्यु व क़त्ल से. ऐ बीबियों नबी की ! जो कोई आवे तुम में से निर्लज्जता प्रत्यक्ष के दुगुणा किया जायेगा वास्त उसके अजाब और है यह ऊपर अल्लाह के सहल।  म -५ सी २१ सु ३३ आ १५ , ३०

समीक्षक – यह मुहम्मद साहेब ने इसलिए लिखा लिखवाया होगा कि लड़ाई में कोई न भागे , हमारा विजय होवे मरने से भी न डरे ऐश्वर्य बड़े मजहब बढ़ा लेवें ? और यदि बीबी निर्लज्जता से न आवे तो क्या पैगम्बर साहेब निर्लज हो कर आवें ? बीबियों पर अजाब हो और पैगम्बर साहेब पर अजाब न हॉवे यह किस घर का न्याय है ?

 

2 thoughts on “अल्लाह सर्वज्ञ और सर्वव्यापक नहीं”

  1. Bhai aapne jitni bhi baate likhi hai sab jhuti hai,ab mai aapko batata hu.allah ne hum sab ko duniya me imtihan ke liye bheja hai,aur agar wo shaitaan ko nahi banata to insano ko behkane wala koi na hota,aur agar behkane wala koi na hota to imtihan kaise hota,hum har kaam me 2 chizo ke darmiyan hote hai,ya shaitaan ki maante hai ya allah ki maante hai.allah ne shaitaan ko bhi soch samajh kar banaya hai aur usne is duniya ko banane ne se hazaro saal pehle har chiz tai kar di thi.aur allah ka muh ek taraf nahi hota wo ek hi waqt me sab ko dekhta hai aur sab ki sunta hai aur yehi sab chize usme khaas hai isiliye to wo allah hai jo insano ke samajh me nahi aata,meri baat par gaur zarur karna.

    1. Umar bhai

      aapke kathan men virodhabhas hai
      jab allah ne sab cheejon ko pahle se hee tay kar rakha hai to fir imtihan lene ki kya aawashyakta hai ?

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