बाइबिल के यहोवा का भयंकर विज्ञान

जी हाँ इतना विज्ञानं आप सुनकर चौंक जायेंगे –

वैसे तो किसी भी पशु का मांस नहीं खाना चाहिए – क्योंकि ये मनुष्यता नहीं –
फिर भी यहोवा को कुछ अकल आई और उसने कुछ पशुओ को अशुद्ध ठहरा दिया – उन पशुओ में सूअर, शापान आदि के साथ साथ एक जानवर आपने देखा होगा – “खरगोश” – इसके मांस को – यहोवा ने अशुद्ध बताया है –

आइये एक नजर डालिये – की इन पशुओ में क्या ऐसा है जो इनको अशुद्ध बनाता है – और अन्य पशुओ को शुद्ध –

1 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,

2 इस्त्राएलियों से कहो, कि जितने पशु पृथ्वी पर हैं उन सभों में से तुम इन जीवधारियों का मांस खा सकते हो।

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

4 परन्तु पागुर करने वाले वा फटे खुर वालों में से इन पशुओं को न खाना, अर्थात ऊंट, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध ठहरा है।

5 और शापान, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

7 और सूअर, जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता तो है परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिये वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

8 इनके मांस में से कुछ न खाना, और इनकी लोथ को छूना भी नहीं; ये तो तुम्हारे लिये अशुद्ध है॥
(लैव्यव्यवस्था, अध्याय ११)

तो देखा आपने – शुद्ध और अशुद्ध का निराकरण करना – वो भी बाइबिल के यहोवा का तर्कसम्मत विज्ञानं ?

क्या कोई जीव – ईश्वर की नजर में अशुद्ध है ?

फिर बनाया क्यों ?

अब क्या ऐसे को जो अपनी ही बनाई सृष्टि में कुछ पक्षपात करता डोलता है – शुद्ध अशुद्ध का भेद करके – उसे ईश्वर कह सकते हैं –

चलिए इस विषय पर फिर कभी चर्चा करेंगे अभी तो ऊपर की आयत में यहोवा का भयंकर विज्ञानं पढ़िए – हंसी आएगी = की बाइबिल का यहोवा – इतना मुर्ख ?

3 पशुओं में से जितने चिरे वा फटे खुर के होते हैं और पागुर करते हैं उन्हें खा सकते हो।

यानी जो पशु जुगाली करते हो और उनके खुर फटे हो – यानी खुर (hoof) में फटाव हो – अथवा बंटे हो – ये दोनों स्थति होनी चाहिए =

अब देखिये – यहोवा का मंदबुद्धि विज्ञान

6 और खरहा, जो पागुर तो करता है परन्तु चिरे खुर का नहीं होता, इसलिये वह भी तुम्हारे लिये अशुद्ध है।

यहाँ खरगोश को अशुद्ध बताया है – यानी खरगोश जुगाली तो करता है मगर उसके खुर फटे नहीं होते –

किसी भाई ने खरगोश को जुगाली करते देखा ?

खरगोश के खुर फटे होते हैं –

क्या ये नार्मल सी बाते भी बाइबिल के यहोवा को नहीं मालूम ?

हाँ केवल आदम हव्वा से दुनिया के अनेक मनुष्य बनाता है – इतना ही अक्ल है –

वाह जी वाह – क्या विज्ञानं है यहोवा का ?

इतने पर भी मेरे ईसाई मित्र कहते हैं –

बाइबिल में विज्ञानं है –

भाई ऐसे विज्ञानं को आप ही पढ़ो और आप ही बांटो –

हम से न होगा –

हंसो मत भाई – यहोवा को बुरा लग गया – तो क़यामत भेज देगा –

बताओ इतना मंदबुद्धि और कम अक्ल वाला बाइबिल का यहोवा अपने को सर्वज्ञ और ईश्वर कहलवाता है –

मेरे ईसाई मित्रो – इस विज्ञानं पर कुछ बोलना है ?

ज्ञान और विज्ञानं वेद में है – उसे अपनाओ

इस ढोंग को छोडो – धर्म से नाता जोड़ो –

लौटो वेदो की और

नमस्ते

10 thoughts on “बाइबिल के यहोवा का भयंकर विज्ञान”

  1. सत्य को पहचानने का प्रयास करो पाखंड से दूर हो जाओ ओ३म् का उच्चारण ही कल्याणकारी है ॐॐ

  2. ..veda brahmand dev gyan vigyan ko samajhne ki tibra jigyasa taki vedik vishwy samaj byabastha pavitra aatam kalyankari sukh jeevan ka sarvatra darshan amrit ka anubhav praptya hote hue.. ..

    1. भाषा को सौम्य बनाये रखें
      विरोधाभास सिद्धांत का हो सकता है लेकिन असभ्यता नहीं होनी चाहिए

  3. हिन्दू धर्म की सच्चाई यह है कि यह केवल झूठ फैलता है। अब बताओ एक देवी या देवता के दस बारह हाथ पैर कैसे हो सकते हैं? थोडा तो लोजिक होना चाहिये । कहीं बच्चे कान से कहीं नाक से पैदा हो जाते हैं? तो कहीं शिव जी का वीर्य समुद्र में गिरता है, उसे मछली खा लेती है और बच्चा पैदा हो जाता है। अजीब लोग हैं कहीं लिंग की पूजा करते हैं कहीं योनी की। शर्म भी नहीं आती अजीब ईश्वर है उसकी पत्नी को ही कोई चोरी कर के ले जाता है। एक दूसरा है जो अपनी बुआ की पुत्री को की भगा लेता है। एक भगवान है जो हाथी के सिर वाला है। अभी यह एक सोचने वाली बात है कि आदमी के बच्चे को हाथी के बच्चे का सिर कैसे लग सकता है? हाथी के सिर का कितना वजन होता है। उस सिर को एक छोटा बच्चा कैसे संभालेगा यह तो सोचने बाली बात है अब बताओ सूर्य देवता कुंती को गर्भवती कैसे कर जायेंगे? सच्चाई तो यह यह की वह बच्चा दुर्वासा ऋषि के कुंती के बलात्कार करने से पैदा हुआ था और यह बात एक मनगड़ंत कहानी गड कर फैला दी गयी। समझ में नहीं ऐसे वेबकुफ़ लोग दुसरो पर कीचड़ उछालते हैं जो स्वयं गटर में गिरे हुए हैं। रही मांसाहार की बात यह देख तेरा धर्म क्या कहता है । महाभारत में रंतिदेव नामक एक राजा का वर्णन मिलता है जो गोमांस परोसने के कारण यशवी बना। महाभारत, वन पर्व (अ. 208 अथवा अ.199) में आता है
    राज्ञो महानसे पूर्व रन्तिदेवस्‍य वै द्विज
    द्वे सहस्रे तु वध्‍येते पशूनामन्‍वहं तदा
    अहन्‍यहनि वध्‍येते द्वे सहस्रे गवां तथा
    समांसं ददतो ह्रान्नं रन्तिदेवस्‍य नित्‍यशः
    अतुला कीर्तिरभवन्‍नृप्‍स्‍य द्विजसत्तम —- महाभारत, वनपर्व 208 199/8-10

    अर्थात राजा रंतिदेव की रसोई के लिए दो हजार पशु काटे जाते थे. प्रतिदिन दो हजार गौएं काटी जाती थीं मांस सहित अन्‍न का दान करने के कारण राजा रंतिदेव की अतुलनीय कीर्ति हुई. इस वर्णन को पढ कर कोई भी व्‍यक्ति समझ सकता है कि गोमांस दान करने से यदि राजा रंतिदेव की कीर्ति फैली तो इस का अर्थ है कि तब गोवध सराहनीय कार्य था, न कि आज की तरह निंदनीय

    महाभारत में गौगव्‍येन दत्तं श्राद्धे तु संवत्‍सरमिहोच्यते —अनुशासन पर्व, 88/5
    अर्थात गौ के मांस से श्राद्ध करने पर पितरों की एक साल के लिए तृप्ति होती है
    पंडित पांडुरंग वामन काणे ने लिखा है
    ”ऐसा नहीं था कि वैदिक समय में गौ पवित्र नहीं थी,

    उसकी ‘पवित्रता के ही कारण वाजसनेयी संहिता (अर्थात यजूर्वेद) में यह व्यवस्‍था दी गई है कि गोमांस खाना चाहिए”–धर्मशास्‍त्र विचार, मराठी, पृ 180)
    मनुस्मृति में
    उष्‍ट्रवर्जिता एकतो दतो गोव्‍यजमृगा भक्ष्‍याः —
    मनुस्मृति 5/18 मेधातिथि भाष्‍यऊँट को छोडकर एक ओर दांवालों में गाय, भेड, बकरी और मृग भक्ष्‍य अर्थात खाने योग्‍य है
    रंतिदेव का उल्‍लेख महाभारत में अन्‍यत्र भी आता है.
    शांति पर्व, अध्‍याय 29, श्‍लोक 123 में आता है
    कि राजा रंतिदेव ने गौओं की जा खालें उतारीं, उन से रक्‍त चूचू कर एक महानदी बह निकली थी. वह नदी चर्मण्‍वती (चंचल) कहलाई.
    महानदी चर्मराशेरूत्‍क्‍लेदात् संसृजे यतः
    ततश्‍चर्मण्‍वतीत्‍येवं विख्‍याता सा महानदी
    कुछ लो इस सीधे सादे श्‍लोक का अर्थ बदलने से भी बाज नहीं आते. वे इस का अर्थ यह कहते हैं कि चर्मण्‍वती नदी जीवित गौओं के चमडे पर दान के समय छिडके गए पानी की बूंदों से बह निकली.

    इस कपोलकप्ति अर्थ को शाद कोई स्‍वीकार कर ही लेता यदि कालिदास का ‘मेघदूत’ नामक प्रसिद्ध खंडकाव्‍य पास न होता. ‘मेघदूत’ में कालिदास ने एक जग लिखा है
    व्‍यालंबेथाः सुरभितनयालम्‍भजां मानयिष्‍यन्
    स्रोतोमूर्त्‍या भुवि परिणतां रंतिदेवस्‍य कीर्तिम
    यह पद्य पूर्वमेघ में आता है. विभिन्‍न संस्‍करणों में इस की संख्‍या 45 या 48 या 49 है.
    इस का अर्थ हैः ”हे मेघ, तुम गौओं के आलंभन (कत्‍ल) से धरती पर नदी के रूप में बह निकली राजा रंतिदेव की कीर्ति पर अवश्‍य झुकना.”
    सत्यार्थ प्रकाश पर यदि वाद विवाद करना है तो मुझ से सम्पर्क करना बाइबिल पर किये गए सारे तर्कों को निरस्त कर दूंगा । आचार्य दयानंद ने किसी वेबकुफ़ मसीही से प्रश्न किये होंगे इस लियें सही तर्क नही मिला ।
    और ज्यों को त्यों लिख दिया ।

    1. “दयानंद ने किसी वेबकुफ़ मसीही से प्रश्न किये होंगे इस लियें सही तर्क नही मिला ।”

      isaka arth ye hua ki bake ke padari jo rishi dayanand ke samay the sare Bewkoof the

      Gyani to kewal aap huye hein

      chalo swagat hai aapka

    2. Dr. Rahul ujjwal जी,शायद आपको बुरा लगे ये जानकर की आपके ज्ञान का स्तर अभी बहुत कमजोर है,आपने यहाँ जितने प्रमाण दिए है,उनमे से कोई भी आर्य समाज को मान्य नही है,आर्य समाज स्वयं बड़े स्तर पर ऐसे प्रक्षिप्त और वेदविरोधी मान्यताओं का विरोध करता है ।आपने तो अभी तक ये भी नही सीखा की गणित के सवाल गणित के और भूगोल के सवाल भूगोल के शिक्षक से पूछे जाते है। भाई साहब पहले पौराणिक मत औऱ वैदिक मत के बारे में फिर उनके प्रमाणिक ग्रंथो को जानिये, तब सवाल पूछिये। आशा है पौराणिक मत के तर्क और प्रमाण वैदिक मत वाले से दोबारा न पूछकर आप अपनी मूर्खता जग जाहिर नही करेंगे।

    3. 1 जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उसने गर्भवती हो कर कैन को जन्म दिया और कहा, मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरूष पाया है।
      उत्पत्ति 4:1

      2 फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना।
      उत्पत्ति 4:2

      16 तब कैन यहोवा के सम्मुख से निकल गया, और नोद नाम देश में, जो अदन के पूर्व की ओर है, रहने लगा।
      उत्पत्ति 4:16

      17 जब कैन अपनी पत्नी के पास गया जब वह गर्भवती हुई और हनोक को जन्मी, फिर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्र के नाम पर हनोक रखा।
      उत्पत्ति 4:

      आदम आदि पुरुष है , और हव्वा आदिमाता , हव्वा कैन और हाबिल को जन्मी , कैन ने हाबिल को मार दिया । कैन नोद देश को चला गया वहाँ उसने शादी की
      तो प्रश्न ये है कि कैन ने जो स्त्री ब्याही , वो कहाँ से आई ?
      क्या परमेश्वर ने जिस समय आदम को बनाया, क्या उसी समय अन्य जगहों पर भी अन्य मनुष्यों को बनाया था?

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