सूत्र :अभावप्रत्ययालम्बना तमोवृत्तिर्निद्र ॥॥1/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - अभावप्रत्ययालम्बना । वृत्तिः। निद्रा।
पदा०- (अभावप्रत्ययालम्बना) जाग्रत तथा स्वप्र वृत्तियों के अभाव के कारण सत्त्वगुण तथा रजोगुण के आच्छादक तमोगुण को विषय करने वाली (वृत्तिः) वृत्ति का नाम (निद्रा) निद्रा है।।
व्याख्या :
भाष्य- जिसके आविर्भूत होने पर अन्य सर्व वृत्तियें अभाव को प्राप्त हो जाती हैं वह अभावप्रत्यय अर्थात् तमोगुण कहलाता है, उस तमोगुण को विषय करनेवाला जो चित्त का परिणाम उसको “निद्रा” कहते हैं अथवा जाग्रत स्वप्र काल की वृत्तियों के अभाव के कारण को अभावप्रत्यय कहते हैं, यहां आलम्ंबन नाम विषय का है, सूत्रार्थ यह हुआ कि जिस समय बुद्धि में तमोगुण आविर्भूत होकर सत्त्वगुण, रजोगुण तथा वाहृोन्द्रियों को आच्छादन कर लेता है उसक समय वाहृा अर्थो के साथ सम्बन्ध न रहने के कारण उनको विषय करनेवाली सम्पूर्ण वृत्तियों के निवृत्त होजाने से केवल तमोगुण को विषय करने वाली जो चित्तवृत्ति उत्पन्न होती है उसको “निद्रा” कहते हैं।।
सं० - अब स्मृतिवृत्ति का लक्षण करते हैं-