सूत्र :अथ योगानुशासनम् ॥॥1/1
सूत्र संख्या :1
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पदच्छे - अथ। योगानुशासनम्।
पदार्थ- (अर्थ) अब (योगानुशासनम्) योगशास्त्र का प्रारम्भ किया जाता है।।
व्याख्या :
भाष्य - सूत्र में “अथ” शब्द का अधिकार का वाचक है, अधिकार, प्रस्ताव, प्रारम्भ, यही एक ही अर्थ के बोधक हैं, समाधिक अर्थ में होने वाली “युज्” धातु से योग शब्द सिद्ध होता है जिसके अर्थ यहां समाधिक के हैं और “अनुशिष्यतेऽनेनेत्यनुशासनम्”=जिससे लक्षण, भेद, उपाय, प्रयोजन आदि प्रतिपादन किये जायं उसको “अनुशासन” कहते हैं।।
भाव यह है कि योग के लक्षणादि को विस्तारपूर्वक प्रतिपादन करनेवाले योगशास्त्र का प्रारम्भ करते हैं।।
सं०-अब योग का लक्षण कहते हैं-