सूत्र :दुःखानुशयी द्वेषः ॥॥2/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - दुःखानुशयी । द्वेष।
पदा० - (दुःखानुशयी) दुःख अनुभव के अनन्तर उत्पन्न हुई क्रोधरूप चित्तवृत्ति का नाम (द्वेषः) द्वेष है।।
व्याख्या :
भाष्य - दुःख अनुभव के अनन्तर उसकी स्मृति द्वारा दुःख तथा दुःख के साधनों में उत्पन्न हुई क्रोधरूप चित्तवृत्ति को द्वेष कहते हैं।।
सं० - अब अभिनिवेश का लक्षण करते हैं:-