सूत्र :सुखानुशयी रागः ॥॥2/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - सुखानुशयी । रागः।
पदा० - (सुखनुशयी) सुखभोग के अननतर चित्त में उत्पन्न हुई इच्छा विशेष का नाम (राग:) राग है।।
व्याख्या :
भाष्य - सूत्र में सुख शब्द का अर्थ सुखका अनुभव है, इसी प्रकार अगले सूत्र में दुःख शब्द का अर्थ भी दुःख का अनुभव जानना चाहिये, सुख अनुभव के अनन्तर उसकी स्मृति द्वारा सुख तथा सुख के साधनों की इच्छारूप चित्तवृत्ति को “राग” कहते हैं।।
सं० - अब द्वेष का लक्षण करते हैं:-