सूत्र :अविद्यास्मितारागद्वेषाभिनिवेशः क्लेशाः ॥॥2/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद०- अविद्याऽस्मितारागद्वेषाभिनिवंशा:। क्केशा:।
पदा०-(अविद्याऽस्मिता०) अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष, अभिनिवेश, यह (क्केशा:) क्केश हैं।।
व्याख्या :
भाष्य - जन्ममरणाद्रिूप दुःख का हेतु होने से यह पांच क्केश क्केश हैं ।।
इनका वर्णन यथाक्रम आगे करेंगे।।
सं० - अब उक्त क्कंशों का मूल कारण कहते हैं:-