सूत्र :तस्य वाचकः प्रणवः ॥॥1/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - तस्य। वाचक: । प्रणव: ।
पदा० - (तस्य) उस ईश्वर का (वाचक:) नाम (प्रणव:) ओ३म् है।
भाष्य - ओ३म् यह ईश्वर का मुख्य नाम है।
सं० - अब प्रणिधान का स्वरूप कथन करते हैं:-