सूत्र :समानजयाज्ज्वलनम् ॥॥3/39
सूत्र संख्या :39
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - समानजयात्। ज्वलनम्।
पदा० - (समानजयात्) समान के जय होजाने से (ज्वलनम्) तेज की प्राप्ति होती है।।
व्याख्या :
भाष्य - जिस योगी ने संयम द्वारा समान नामक प्राण को जीत लिया है उसका अग्नि के समान तेज होता है।।
सं० - अब अन्य विभूति कथन करते हैं:-