सूत्र :कन्ठकूपे क्षुत्पिपासा निवृत्तिः ॥॥3/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - कण्डकूपे। क्षुत्पिपासानिवृत्ति:।
पदा० - (कण्डकूपे) कण्ठकूपे में संयम करने से (क्षुत्पिपासानिवृत्ति:) भूख प्यास की निवृत्ति होती है।।
व्याख्या :
भाष्य - जिवा के नीचे कूपाकार नाड़ी विशेष का नाम “ कण्ठकूप ” है, जब योगी कण्डकूप का संयमद्वारा साक्षात्कार कर लेता है तब उसकी भूख प्यास की निवृत्ति होजाती है।।
भाव यह है कि मुनष्य के मुख में जो थूक तथा लार उत्पन्न होती है उसका स्थान कण्ठकूपप है, उसके साथ प्राणवायु का स्पर्श होने से भूख प्यास लगती है, अतएव जो योगी संयमद्वारा प्राणवायु के स्पर्श को निवृत्त कर उक्त कण्ठकूप में चित्तवृत्ति को एकतान कर देता है तब उसको भूख प्यास की बाधा नहीं होती।।
सं० - अब अन्य विभूति कथन करते हैं:-