सूत्र :शब्दाद् एव प्रमितः 1/3/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (शब्दात्) शब्द से (एव) भी (प्रमितः) परिमाणवाला सान्त।
व्याख्या :
भावार्थ- वह अँगूठे के बराबर शांत जो बतलाया गया है, यह परमात्मा ही है; क्योंकि उसको भूत और भविष्यत् का स्पवामी बतलाया है, जो जीवात्मा नहीं हो सकता; इस कारण उस शब्द से स्वामी ब्रह्मा ही है। कोई जीव बड़ा, प्रकृति, भूत और भविष्यत् का स्वामी नहीं हो सकता; दूसरे आत्मा में वास करनेवाला सिवाय परमात्मा के अन्य नहीं हो सकता। इस प्रकार के शब्दों से स्पष्ट विद्यमान् है कि वहाँ अँगूठे के समान प्रयोजन परमात्मा का हैं
प्रश्न- सारे जगत् में व्यापक परमात्मा को अँगूठे के बराबर क्यों बतलाया?