सूत्र :अल्पश्रुतेर् इति चेत् तद् उक्तम् 1/3/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (अल्पश्रुते) शांत स्थान में जो श्रुति ने बतलाया है (इतिचेत्) यदि हो (तदुक्तम्) तो पहले उसका उत्तर दे चुके हैं।
व्याख्या :
भावार्थ- यह जो शंका है कि परमेश्वर को एक शांत स्थान में क्यों बतलाया? उसका उत्तर प्रथम दे चुके हैं कि वह उसकी सूक्ष्मता दिखाने के कारण और देखने के स्थान आदि के आदि के आरोप से कहा गया है, जिसका दूसरे पाद के सूत्र सात में स्पष्ट कर दिये हैं।
प्रश्न- यह किस प्रकार स्वीकार किया जावे कि सूक्ष्मता दिखलाने के कारण कहा गया है?
उत्तर- जब यह बतलाया है कि जितना यह बाहर का आकाश बलिहाज लम्बाई और चौड़ाई के तो समान हो नहीं सकता; किन्तु सूक्ष्मता के लिहाज से दोनों एक से हैं; इस कारण यह उपमा दी गई है।
प्रश्न- जिन श्रुतियों में बतलाया गया है कि न वहाँ सूर्य प्रकाश है, न चन्द्रमा, न विद्यृत और न यह अग्नि, उसके प्रकाश से यह सब प्रकाश करते है; क्या वहाँ अग्नि का विधान है?