सूत्र :प्रसिद्धेश् च 1/3/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (प्रसिद्धेः) यह प्रसिद्ध होने से (च) भी।
व्याख्या :
भावार्थ- आकाश परमात्मा को भी प्रसिद्ध नाम है, जैसा कि बहुत सी श्रुतियों से सिद्ध हो चुका है। जहाँ लिखा है कि सर्व भूत आकाश से उत्पन्न होते हैं; इस कारण ‘दहर’ आकाश से परमात्मा अर्थ लेना कोई अप्रसिद्ध नहीं। वह प्रथम ही बहुत स्थानों पर बतलाया जा चुका है; इस कारण ‘दहर’ से अर्थ ब्रह्मा ही है।
प्रश्न- यदि श्रुतियों से प्रसिद्ध ही लेना उचित है, तो जीव का अर्थ भी हो सकता है। जैसे-कहा है कि यह सब, जो भली प्रकार फैला हुआ है, इस शरीर से पृथक् परमात्मा की ज्योति प्राप्त करके अपने मुख्य स्वरूप को प्राप्त होता है और यह ही आत्मा है।