DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वेदान्त-दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :नानुमानम् अतच्छब्दात्1/3/3
सूत्र संख्या :3

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : पदार्थ- (न) नहीं (अनुमानम्) अनुमान (अतच्छदात्) वेद अथवा श्रुतियों की शिक्षा न होने से।

व्याख्या :
भावार्थ- वेद से यह बात प्रत्यक्ष है कि प्रकृति ब्रह्मा के एक पाद में रहती है और यह निय है कि प्रत्येक वस्तु का आधार छोटा नहीं होता, वरन् बड़ा होता है। इस कारण सबसे बड़ा जो ब्रह्मा है-सबका आधार है। ऐसा कोई वेद-वाक्य नहीं, जिसमें प्रकृति को आधार (स्थित रखनेवाला) बतलाया है और यह सिवाय परमात्मा के हो नहीं सकता। प्रकृति उन लोकों का आधार है, ऐसे प्रमाण आते हैं अर्थात् प्रकृति के सहारे लोक रहते हैं। जबकि वह एक ही जानने योग्य बतलाया है, वह सिवाय परमात्मा के हो ही नहीं सकता, तो अनुमान किस प्रकार कर सकते हैं; क्योंकि उसके लिये हेतु दृष्टान्त कोई नहीं मिलता। जबकि वहाँ सर्वज्ञ, सबको जानेवाला, सबका आधार बतलाया है, तो ज्ञान से रहित प्रकृति कैसे ले ली जा सकती है। प्रश्न- क्या जीव नहीं हो सकता?

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