सूत्र :स्मर्यमाणम् अनुमानं स्याद् इति 1/2/25
सूत्र संख्या :25
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- स्मृति में भी इस अनुमान के के कारण समय दिया है। जैसा कि एक स्मृति में लेख है कि जिसका मुख है सूर्यलोक, ऊपर का आकाश जिसका मस्तक है, आकाश जिसकी नाभि है, पृथ्वी जिसके चरण हैं, ऐसा श्रुति में भी लिखित है। उस श्रुति और स्मृति के प्रमाणों का अनुमान होता है कि यहाँ कथन करने का तात्पर्य वैश्वानर शब्द से ब्रह्मा ही का है. आगे और शंकाओं को बतलाते हैं।