DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वेदान्त-दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :विशेषणभेदव्यपदेशाभ्यां च नेतरौ 1/2/22
सूत्र संख्या :22

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : पदार्थ- (विशेषणभेदव्यपदेशाभ्याम्) विशेषण अर्थात् पृथक् करनेवाले गुण और दोनों का भेद बतलाने से (न) नहीं (इतरौ) जीव और प्रकृति।

व्याख्या :
भावार्थ- श्रुति ने जहाँ कारण पर विवाद किया है, वहाँ पर ऐसे गुण वर्णन किये हैं, जो परमात्मा को दूसरों से पृथक् करते हैं और जीव-ब्रह्मा का भेद भी श्रुतियों ने भली प्रकार प्रकट किया है। जड़, प्रकृति और ब्रह्मा का भेद सर्वोपरि है; इस कारण जीव और प्रकृति वेदान्त में जगत् का कारण नहीं बतलाये जाते। प्रश्न- ब्रह्मा को जीव से पृथक् करने का कारण बताया है कि वह ब्रह्मा दिव्य है अर्थात् प्रकाश और अमूर्त है; वह सबसे भीतर और बाहर है और उत्पत्ति से रहित जो पुरूष है, उसके प्राण और मन नहीं और वह शुद्ध है। जीव सबके भीतर-बाहर नहीं हो सकता और मन और प्राणों के बिना कर्म नहीं कर सकता, ऐसे ही और भी बहुत सी बातें है। प्रश्न- किस प्रकार परमेश्वर भूतयोनि अर्थात् सब भूतों का कारण है?

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