सूत्र :प्रकरणाच् च 1/2/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (प्रकरणात्) प्रकरण से (च) भी।
व्याख्या :
भावार्थ- इस श्रुति के विषय से भी परमात्मा का ही अर्थ विद्यमान होता है; क्योंकि बतलाया है कि उसको कौन जान सकता है? क्योंकि कठिनता से जानने योग्य ब्रह्मा ही है। अग्नि तो प्रत्यक्ष है, इस कारण विषय से परमात्मा ही नाश करनेवाला ज्ञात होता है।
प्रश्न- क्या जीव कठिनता से नहीं जाना जाता; क्योंकि जिस प्रकार परमात्मा की सत्ता में लाखों मनुष्यों को शंका है; उसी प्रकार जीव की सत्ता में भी तो शंका है?
उत्तर- हम पहले ही बता चुके हैं कि जीव सबका ग्रहण नहीं कर सकता; दूसरे बुद्धिमान मनुष्य सुषुप्ति अर्थात् स्वप्नावस्था और मृत्युसे जीव की सत्ता का ज्ञान कर सकते हैं। इस कारण ब्रह्मा ही लेना पड़ेगा।
प्रश्न- परमात्मा और जीवात्मा का दर्शन क्यों दुर्लभ है और अग्नि आदि का क्यों सरल है?