DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वेदान्त-दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :कामाच् च नानुमानापेक्षा 1/1/18
सूत्र संख्या :18

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : पदार्थ- (कामात्) इच्छा के होने से (च) भी (न) नहीं (अनुमानापेक्षा) अनुमान की आवश्यकता।

व्याख्या :
भावार्थ- जीव को आनन्द की कामना अर्थात् इच्छा है और इच्छा उस वस्तु की होती है, जो लाभदायक अथवा अप्राप्त हो; इसलिये उस अनुमान की आवश्यकता ही नहीं कि जीव आनन्दस्वरूप हैं। यदि आनन्द अप्राप्त न हो, जो उसकी इच्छा किस प्रकार हो सकती है ? यह अटल नियम है कि दुःख-कारक प्राप्ति से घृणा होती है और सुखकारक अप्राप्त की इच्छा होती है। प्रश्न-यह कथन कि लाभदायक और अप्राप्त की इच्छा होती है, सत्य नहीं; क्योंकि इस पर साक्षेप हो सकता हैं बहुधा विद्वानों की यह सम्पत्ति है कि प्राप्त (हासिल) की भी भूल हो जाने पर इच्छा होती है। जिस प्रकार ब्रह्म प्रत्येक जीव के निकट है; परन्तु न जानने के कारण जीव उसकी प्राप्त करने की इच्छा रखता है। उत्तर- प्राप्ति अन्य प्रकार से होती है। कर्म इन्द्रियों के जो विषय है, उनके पकड़ने से; ज्ञान इन्द्रियों के विषयों के जानने से और जड़ वस्तुओं संयोग से। जबकि जीवात्मा चेतन है, तो उसकी प्राप्ति केवल ज्ञान से होती है; जब जीवात्मा ब्रह्म को नहीं जानता, तब उसको ब्रह्म की प्राप्ति होती है और वह जानने की इच्छा करता है; अतः इच्छा अप्राप्त और लाभदायक वस्तु की ही हुआ करती है।

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