सूत्र :तद्धेतुव्यपदेशाच् च 1/1/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (तत्) उसका (हेतु) कारण (व्यपदेशाच्च) बतलाया जाने से।
व्याख्या :
भावार्थ- जिस किसी को आनन्द मिलता है, वह सब ब्रह्म के कारण प्राप्त होता है। यह उपदेश सब वेद, उपनिषद् और शास्त्रों में विधान किया गया है। इस कारण जिसके पास अधिक आनन्द हो, वह ही दूसरों को आनन्द देने का कारण हो सकता हैं जिस प्रकार सृष्टि में जिसके पास अपने उदर से विशेष अन्न होता है, वही दूसरों को अन्न-दान करके उनकी क्षुधा दूर कर सकता है। इसलिये आनन्द का हेतु ब्रह्म है। समाधि, सुषुप्ति और मुक्ति में जीव ब्रह्म के कारण ही आनन्द को प्राप्त कर सकता हैं इसलिये विशेष आनन्दवाला होने से ब्रह्म ‘‘आनन्दमय″ कहा जा सकता है। इस पर और युक्ति देते हैं।