DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वेदान्त-दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :सर्वोपेता च तद्दर्शनात् 2/1/29
सूत्र संख्या :29

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : पदार्थ- (सर्वापेत्ता) सब शक्तिर्योवाला ब्रह्मा है (च) और (तत्) श्रुति के (दर्शनात्) देखने से।

व्याख्या :
अर्थ- एक ही ब्रह्मा में अनेक विकार उत्पन्न होते हैं इस पर जो शंका हैं कि किस प्रकार देख पड़तेहैं? इस पर कहते हैं कि ब्रह्मा में सब प्रकार की शक्ति न होती, तो सब प्रकार का जगत न बन सकता। उनको श्रुति ने भी दिखाया है। उस परमात्मा की शक्ति के सम्बन्ध में छान्दोग्य उपनिषद् में लिखा है कि वह परमात्मा सब कामों का करनेवाला, सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला, सब प्रकार के सुगन्धों को प्रकट करनेवाला, सब प्रकार के रसों को उत्पन्न करनेवाला इस सब में व्यापक है। वह परमात्मा सत्य1 कर्म है। अर्थात् उसकी शक्ति त्रिकाल रहनेवाली और संकल्प स्वाभाविक होने से सत्य ही है। उसके भय से अग्नि जलती है, सूर्य अपनी क्रिया नियम-पूर्वक करता है बिजली चमकती है, वायु चलती है, उसके नियम में मृत्यु चलती है, मांडूक्य उपनिषद में बतलाया है कि ब्रह्मा सर्वज्ञ है (यः सर्वज्ञः स सर्ववित। मु.1।1।9)। प्रश्न- श्रुति से तो विदित होता है कि वह सब शक्तियोंवाला है; परंतु जो मनुष्य श्रुति को नहीं मानता। वह कैसे स्वीकार करे? उत्तर- जगत् का प्रत्येक पदार्थ उसकी साक्षी दे रहा है क्योंकि जगत् के परमाणु स्वभाव से क्रिया कार्यवाले स्वीकार कर लिये जायें, तो जगत् बन ही नहीं सकता। अतः परमाणुओं ने उसको नियम-पूर्वक चलाकर संयोग वियोग करता परमात्मा का काम है और परमाणुओं को कोई औजारों से पकड़कर तो मिला ही नहीं सकता। इस कारण उसको वहीं संयोग कर सकता है, जो उसके भीतर प्रविष्ट होकर गति दे। प्रत्येक परमाणु के भीतर प्रविष्ट होकर गति देना शान्त-शक्तिवाले का काम नहीं इसलिये जगत को जो मनुष्य विचार की दृष्टि से देखेगा, उसको परमात्मा के सर्व-शक्तिमान् होने का प्रमाण मिलेगा।

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: fwrite(): write of 34 bytes failed with errno=122 Disk quota exceeded

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 263

Backtrace:

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: session_write_close(): Failed to write session data using user defined save handler. (session.save_path: /home2/aryamantavya/public_html/darshan/system//cache)

Filename: Unknown

Line Number: 0

Backtrace: