सूत्र :यथा च प्राणादिः 2/1/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (यथा जैसे (च) और (प्राणादि) प्राण आदि।
व्याख्या :
अर्थ- जैसे संसार में दस प्रकार के प्राण जब प्राणायाम करके वा साँस की गति को रोकनक से कारण अवस्था में आ जाते हैं, तब जीवन की गति रूक जाती है, तो वह प्राणों के सिकुड़ने और फैलने से अन्य नहीं हो जाती। फिर दुबारा (आकुचंन) सिकुड़ने और (प्रसारण) फैलने का कार्यभी बंद हो जाता है; परन्तु किसी अवस्था में भी भेद होते हुए भी प्राण वायु से भिन्न कोई वस्तु नहीं, इसी प्रकार कारण और कार्य एक है।