सूत्र :एतेन सर्वे व्याख्याता व>1/4/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (एतेन) इस नियम से (सर्वे) सक ही (व्याख्याताः) जगत्कत्र्ता के सम्बन्ध में विवाद (व्याख्याताः) खण्डित (रद) किये गये।
व्याख्या :
भावार्थ- जिस प्रकार प्रकृति को स्वतन्त्र जगत्कर्ता होने का खण्डन करने के कारण उसमें ज्ञानपूर्वक कर्ता न होने का खण्डन पंचम सूत्र, पाद प्रथम से लेकर यहाँ तक अनेक प्रकार की शंका दिखलाकर किया गया है, इसीसे अन्य मनुष्य भी जो पंच भूतों को स्वतन्त्र जगत् का कारण मानते हैं वा आकर्षण से जगत् की उत्पत्तिस्वीकार करते हैं वा जो दो प्रकार की विद्युतशक्ति (म्समबजतपब चवूमत) प्रकट, दूसरे अप्रकट से वा एक संयोग (च्वेपजपअू) करनेवाली, दूसरी वियोग (छमहंजपअम) करनेवाली से जगत् उत्पन्न होना स्वीकार करते हैं, इस प्रकार के जो और वाद अर्थात् व्योरियां ब्रह्मा को न मानकर वर्णन की गई हैं, सबका खण्डन हो जाता है; क्योंकि यह वेदान्त शास्त्र उन मनुष्यों के लिये है, जो दर्शन और उपनिषद् के अर्थ को समझ सके। इस कारण संक्षिप्त इख्तसार में सब मतों का खण्डन किया गया है। प्रकृति के प्रत्येक बाद इससे खण्डित हो जाते हैं।