सूत्र :योनिश् च हि गीयते 1/4/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (योनिः) कारण (च) वेदों में गाया गया वा बतलाया गया है।
व्याख्या :
भावार्थ- वेदों अथ्वा उपनिषदों में ब्रह्मा को जगत् का कारण (योनि) बतलासया गया है। यह शब्द तो उपादान कारण में प्रयोग होता है वा उस स्थान में जहाँ कहा है कि जो मनुष्य जगत् के कत्र्ता पुरूष को जो जगत् की योनि है; द्वितीय श्रुति का कथन है कि जो भूतों की योनि को दृढ़ विश्वासी मनुष्य देखते हैं-यहाँ पर योनि शब्द उपादान कारण के हेतु से प्रयुक्त हुआ है; क्योंकि लोग में पृथ्वी की औषधि अर्थात् दवाओं, वनस्पतियों की योनि बतलाते हैं। इसलिये उपादान कारण विचार करके मकड़ी का दृष्टान्त भी उपनिषदों ने दिया है, जिससे स्पष्ट प्रकट है कि माया सहित ब्रह्मा को जगत् का उपादान और निमित्त कारण और उपादान कहाते हैं। केवल ब्रह्मा निमित्त कारणऔर केवल प्रकृति उपादान सिद्ध होती है। अब अन्तिम सूत्र कथन करते हैं।