सूत्र :जीवमुख्यप्राणलिङ्गान् नेति चेत् तद्व्याख्यातम् 1/4/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (जीव मुख्य) उस स्थान पर जीव जीव ही मुख्य है (प्राणलिंगात्) उसका चिन्ह प्राण विद्यमान होने से (न) नहीं (इतिचेत्) यदि ऐसा हो (तत्) उसका (व्याख्याताम्) प्रथम उत्तर दे चुके हैं।
व्याख्या :
भावार्थ- प्राण के चिन्ह से जीव अर्थ लेना चाहिए, यह सत्य नहीं; क्योंकि प्रथम इस पर वाद-विवाद कर चुके हैं उस स्थान पर पुरूषों का कर्ता होने से ब्रह्मा ही लिया जावेगा। इसपर आचार्य अपनी सम्मति देते हैं।