सूत्र :ज्योतिषैकेषाम् असत्यन्ने 1/4/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (ज्योतिषि) ज्योति में (एकेषम्) कण्व शाखावालों में (असति) न होने पर (अन्ये) दूसरे।
व्याख्या :
भावार्थ- माध्यन्दिनी शाखावाले तो उस स्थान पर पंच जन शब्द से प्राण लेते हैं और कण्व शाखावाले पाँच ज्योतियाँ लेते हैं; परन्तु शब्द का सम्बन्ध तो मालूम होता है; क्योंकि वह स्थान पर आता हैं ज्योति शब्द उस स्थान पर आता नहीं; इस कारण उसको लेना उचित नहीं दोनों शाखाओं वालों में कोई उस पंच जन शब्द से पच्चीस नहीं लेता। इस पर आक्षेप करता है कि ब्रह्मा जगत् का कारण है।