सूत्र :सूक्ष्मं तु तदर्हत्वात् 1/4/2
सूत्र संख्या :2
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पदार्थ- (सूक्ष्मम्) सूक्ष्म है (तु) शंका के उत्तर को बतलाया हुआ केवल (तत् अर्हत्वात्) योग्य होने से।
व्याख्या :
भावार्थ- क्योंकि स्थूल, सूक्ष्म, कारण तीन प्रकार के स्वीकार किये गये हैं; इस कारण प्रकृति को कारण शरीर बतलाया गया है; निदान सूक्ष्म प्रकृति को शरीर कहते हैं। कोई दोष नहीं; क्योंकि कारण शरीर के नाम से सब विद्वानों ने स्वीकार किया है।
प्रश्न- शरीर स्पष्ट प्रकट होता है और प्रकृति को अयुक्त (नाकाबिले इजहार) बतलाया है; इस कारण उसको शरीर कहना किसी प्रकार उचित नहीं।
उत्तर- यदि स्थूल ही शरीर होता, तो यह शंका उचित हो सकती थी; परन्तु शरीर सूक्ष्म और कारण भी होता है और उससे उत्पन्न होनेवाले कार्य शरीर कहते हैं; क्योंकि वह सूक्ष्म भूत जो जगत् की उत्पत्ति को कारण होते हैं, इसलिये उसके अवयक्त भी कह सकती है।