सूत्र :यथादृष्टमयथादृष्टत्वाच्च 2/2/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे देखने से सन्देह होता है, वैसे ही न देखने से भी सन्देह होता है। जैसे पूर्व किसी मनुष्य की डाढ़ी, मूंछ और बालों को न देखकर भी संशय होता है। वा किसी मनुष्य का सिर ढका हुआ देखकर यह विचार होता है कि अमुक है, उसके सिर पर बाल हैं या नहीं। उस स्थान पर भी अमुक मनुष्य है। उसके सामान्य धर्म का ज्ञान ही संशय का कारण है। अब आभ्यन्तर वस्तुओं में जो सन्देह उत्पन्न होता है उसका कारण बताते हैं।