DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :अथातो धर्मं व्याख्यास्यामः 1/1/1
सूत्र संख्या :1

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : महात्मा कणाद जी कहते हैं कि प्रमाण इत्यादि सोलह पदार्थों के जानने के अनन्तर, प्रमेय ज्ञान की आवश्यकता हैं क्योंकि धर्म के ज्ञान के बिना अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान होना और उसका प्राप्त होना असम्भव है। इसलिए सबसे पहले धर्म की व्याख्या करते हैं। अर्थात् धर्म क्या वस्तु है इसको विवरण करके जो धर्म है, उसकी व्याख्या करते हैं। वा ऐसा समझना चाहिए कि जीवन के प्रश्न के अनन्तर उसके उत्तर में धर्म की व्याख्या करते हैं। इस सूत्र में ‘अर्थ’ शब्द का अर्थ ‘मगंल’ भी है।

व्याख्या :
प्रश्न- साइन्स और धर्म का क्या सम्बन्ध हैं यदि यह पुस्तक धर्म शास्त्र होता तब तो इसमें धर्म की व्याख्या की आवश्यकता होती, परन्तु यह पुस्तक तो पदार्थ विद्या की हे, इसमें धर्म की व्याख्या ही क्या आवश्यकता थी? उत्तर- जबकि प्रत्येक विद्या का जानना दुखों के दूर करने के लिए है, और दुःख का दूर होना धर्मानुष्ठान से होता है क्योंकि पाप से दुःख और पुण्य से सुख होता है, इसलिए प्रत्ये पदार्थ का ज्ञान प्राप्त करना भी धर्म ही के लिए है जिससे दुःख से छृटकर सुख प्राप्त कर सके। प्रश्न- धर्म किसको कहते है

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: fwrite(): write of 34 bytes failed with errno=122 Disk quota exceeded

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 263

Backtrace:

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: session_write_close(): Failed to write session data using user defined save handler. (session.save_path: /home2/aryamantavya/public_html/darshan/system//cache)

Filename: Unknown

Line Number: 0

Backtrace: