सूत्र :आदित्यसंयोगाद्भूतपूर्वाद्भविष्यतो भूताच्च प्राची 2/2/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रथम जिस और सूर्य निकलमा हैं उसका नाम प्राची है, चाहे यह विचार करके कि कल के दिन इस ओर से सूर्य चढ़ा था, चाहे इस समय चढ़का देखने से चाहे आगे को चढ़ने का ज्ञान होने से, इस और का नाम पूर्व है। भूतकाल में सूर्य इस ओर से निकलता था, वर्तमान में निकल रहा है, और आगे को निकलेगा! तीनों कालों में सूर्य के निकलने के सम्बन्ध से ही इस दिशा का नाम पूर्व है। यदि सूर्य का निकलना न हो, जैसा प्रलय काल में होता है, तो उस समय प्राची अर्थात् पूर्व दिशा कहना ठीक नहीं होगा, क्योंकि जिए कारण उस दिशा का यह नाम था उस समय वह कारण ही नहीं इसलिए कार्य जगत् की अवस्था में ही अनेक प्रकार की दिशाओं का होना सिद्ध होता है। वास्तव में मुख्य दिशा एक ही है।
प्रश्न- प्राची अर्थात् पूर्व दिशा का तो आपने इस प्रकार समाधान कर दिया, परन्तु शेष दिशाओं के लिए क्या कहोगे?