सूत्र :नापि कर्माचाक्षुषत्वात् 2/2/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म आंखों से देखा जाता है, और शब्द कानों से सुना जाता है आंखों से देखा नहीं जाता, इसलिए कर्म भी नहीं है।
व्याख्या :
प्रश्न- कर्म आंखों से नहीं देखा जाता?
उत्तर- जो वस्तु निष्किय थी उसको क्रिया करते आंखों से देखते हैं अतः क्रिया आंखों से देखी जाती है। जितने कर्म हैं सभी आंखों से देखे जाते हैं, चाहे नीचे गिरे चाहें ऊपर को उठें। जबकि शब्द आंखों से नहीं देखा जाता, इसलिए कर्म नहीं हो सकता।