सूत्र :गुणस्य सतोऽपवर्गः कर्मभिः साधर्म्यम् 2/2/25
सूत्र संख्या :25
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि कर्म के समान शब्द शीघ्र नाश होने वाला है। परंतु कर्म नहीं किंतु यह गुण, कर्म के समान है।
व्याख्या :
प्रश्न- कर्म के अतिरिक्त गुणों का शीध्र नाश होना सम्भव नहीं है अतः शब्द गुण नहीं।
उत्तर- बहुत से गुण भी शीघ्र नष्ट होते हैं, जैसे एक मिनट में तो सुख का ज्ञान था दूसरे मिनट में दुःख का ज्ञान हो गया, मानो पूर्व ज्ञान का नाश होकर दूसरा उत्पन्न हो गया, इसलिए यह बात नियत नहीं कि कर्म का ही शीघ्र नाश होता है। शब्द गुण और कर्म में इतना साधर्म्य है कि दोनों शीघ्र नाश होने वाले हैं।
प्रश्न- शब्द नित्य है या अनित्य?