DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
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सूत्र :द्रव्यत्वनित्यत्वे वायुना व्याख्याते 2/2/11
सूत्र संख्या :11

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जिस प्रकार वायु के परमाणुओं का द्रव्य होना नित्य पाया जाता है, इसी प्रकार दिशा भी द्रव्य है और नित्य है।

व्याख्या :
प्रश्न- दिशा के द्रव्य और नित्य होने में क्या प्रमाण है? उत्तर- इसलिए कि दिशा में गुण पाये जाते हैं, और गुण, द्रव्य के अतिरिक्त किसी और में रते नहीं, इसलिए दिशा को द्रव्य ही मानना ठीक है। प्रश्न- दिशा में कौनसा गुण पाया जाता है? उत्तर- दिशा में परत्व और अपरत्व आदि गुण पाये जाते हैं, जिससे उनका गुण होना सिद्ध है। प्रश्न- दिशा के नित्य होने में क्या प्रमाण है? उत्तर- इसलिए कि दिशा अपनी सता के लिए किसी अन्य द्रव्य की अपेक्षा नहीं रखती। इसलिए वह नित्य है, क्योंकि अनित्य वस्तु अपनी सत्ता के लिए अपेक्षा रखती है। प्रश्न- दिशा एक है वा अनेक? उत्तर- दिशा एक है। प्रश्न-इसमें क्या प्रमाण है?

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