सूत्र :तत्त्वं भावेन 2/2/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दिशा का लिंग तो सामान्यता एक स्थान पर पाया जाता है और विशेषता को प्रकट करने वाला लिंग नहीं पाया जाता इसलिए दिशा का एक ही होना सिद्ध है।
प्रश्न- हम बहुत सी दिशायें सुनते हैं, दिशा का एक होना ठीक नहीं क्योंकि दश दिशायें तो सब ही मानते हैं।