सूत्र :द्रव्यगुणयोः सजातीयारम्भकत्वं साधर्म्यम् 1/1/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : द्रव्य और गुण में ये बातें समान हैं कि वे अपने अपने सजातीय की उत्पत्ति के कारण होते हैं अर्थात् कारण द्रव्य की उत्पत्ति होती है और कारण गुण से कार्य गुण की उत्पत्ति होती है द्रव्य से गुण की उत्पत्ति कभी नहीं हो सकती। परन्तु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह गुण उन्हीं द्रव्यों में होगा जो परिणामी होते हैं, जैसे पृथ्वी, पानी, वायु और अग्नि परन्तु आकाश आदि दव्यों में परिणामी नहीं, यह बात नहीं हो सकती। आशय यह है कि जिस वस्तु के परमाणु होते हैं उनमें संयोग वियोग होने से परिणाम हो सकता है। जिस वस्तु में परमाणु नहीं उनमें से सम्भव ही नहीं, जैसे मट्टी के परमाणु किसी अवस्था में मिलकर घट बन सकते हैं, परन्तु आकाश के परमाणु ही नहीं, उससे क्या बन सकता है? जैसे जल से बर्फ बन सकता है, किन्तु देश से कोई भी कार्य बन सकता इसको अगले सूत्र में बिस्तार पूर्वक वर्णन करते हैं।