सूत्र :पृथिव्यापस्तेजो वायुराकाशं कालो दिगात्मा मन इति द्रव्याणि 1/1/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पृथिवी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, काल दिशा, आत्मा, और मन ये नौ द्रव्य है।
व्याख्या :
‘‘इति’’ शब्द से यह सूचित कर दिया कि द्रव्य नौ ही हैं न्यूनाध्कि नहीं।
प्रश्न- ये नौ द्रव्य कैसे है, हम तो इनसे अधिक भी पाते हैं। यथा-सुवर्ण। इसको न पृथिवी ही कह सकते हैं, क्योंकि इसमें गन्ध नहीं है। न इसको जल कह सकते हैं, क्योंकि चिकनाहट और वहने का गुण नहीं। न इसको तेज कह सकते हैं, क्योंकि इसमें गुरूत्व (बोझ) है औ अग्नि में गुरूत्व नहीं। इसी प्रकार वायु, आकाश समय, दिशा, आत्मा और मन भी नहीं कह सकते क्योंकि इन सब में भी विरूद्ध गुण पाये जाते हैं। अतः सुवर्ण नौ से अलग दसवां द्रव्य है।
उत्तर- यह आक्षेप ठीक नहीं क्योंकि सुवर्ण मिश्रित द्रव्य हैं भला मिश्रित की एक द्रव्य के साथ किस प्रकार तुलना हो सकती है? सुवर्ण में तेज का अशं अधिक है, अतः तैजस कहाता है।
प्रश्न- अन्धकार असंयुक्त भी है और नव द्रव्यों में है, अतःवह अलग दसवां द्रव्य क्यों नहीं ?
उत्तर- अन्धकार तमोगुण अर्थात् पृथिवी का है धर्म गुण में सम्मिलित होता है। अतः अन्धकार का धर्म ही द्रव्य नहीं।
प्रश्न- साइन्स वाले या और लोग भी सुवर्ण को पृथक् द्रव्य नहीं मानते हैं।
उत्तर- सामयिक साइन्स से केवल गैस तक ही द्वारा बनाया जाता हैं, जो पारिमाण्डल (वे अणु) जो झारेकों से आये हुए सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं, की अवस्था में होता है और यह संयुक्त होता है। इसलिए उनका सत्य नहीं उन्होंने परमाणु की जांच नहीं की है। परमाणु के अतिरिक्त कोई भी असंयुक्त तत्त्व नहीं, और जो असंयुक्त तत्व न हो वह अपने कारणों से पृथक् कोई वस्तु नहीं केवल कारणों का विकार मात्र है।
प्रश्न- इन पदार्थों में से कितने हैं और कितने परिछिन्न (एक देशी)।
उत्तर- पृथिवी, जल, अग्नि, विभु, वायु, और मन, ये पांच परिछिन्न (एक देशी) हैं और आकाश, काल, दिशा, आत्मा और परर्मात्मा ये अर्थात् सब वस्तुओं से सम्बन्ध रखने वाले हैं।
प्रश्न- क्या जीवात्मा भी विभु हैं? यदि जीवात्मा और परमात्मा दोनों ही विभु मान लिए जावें तो उन दोनों में अन्तर ही क्या रहेगा?
उत्तर- परमात्मा एक और विभु है, किन्तु जीवात्मा संख्या में अनन्तर होने से विभु है स्वरूप से विभु नहीं। यहां विभु से आशय यह है कि जिसका प्रत्येक शरीर के साथ सम्बन्ध हो अर्थात् संसार में कोई ऐसा शरीर धारी नहीं जिस के साथ जीव का सम्बन्ध न हो।
प्रश्न- क्रिया का प्रभाव किन द्रव्यों पर पड़ता है? अर्थात् कौन से द्रव्य हैं जो क्रिया के कारण अपनी अवस्थाओं को बदलते हैं?
उत्तर- वहीं पांच द्रव्य जो परिछिन्न है अर्थात् और पृथिवी, जल, वायु, अग्नि, और मन ये अपनी अवस्थाओं को क्रिया से प्रभावित होकर परिणत करते हैं। दूसरे चार विभु द्रव्य अपनी अवस्थाओं को क्रिया से प्रभावित होकर नहीं बदलते।
प्रश्न- वरे और परे के गुण किन-किन द्रव्यों में है?
उत्तर- शान्त (परिछिन्न वा एक देशी) वस्तुओं में ही वरै और परै का गुण रहता है। विभु में नहीं।
प्रश्न- गुण कितने हैं और कौन-कौन से हैं?
उत्तर- गुण 24 हैं, और वे ये हैः-