सूत्र :कर्म कर्मसाध्यं न विद्यते 1/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म से कर्म की उत्पत्ति नहीं होती, अर्थात् जिस प्रकार कारण द्रव्य अपने कार्य द्रव्यों को उत्पन्न करता है और कारण गुण कार्य गुण को उत्पन्न करता है परन्तु कर्म-कर्म को उत्पन्न नहीं कर सकता। यह द्रव्य और गुण से कर्म में विशेषता है।
व्याख्या :
प्रश्न- कर्म का कारण कर्म क्यों नहीं होता?
उत्तर- कर्म संयोग और वियोग का कारण है यदि कर्म से कर्म की उत्पत्ति मानी जावे तो पहिले कर्म होकर दूसरे कर्म को पैदा करेगा। जिस प्रकार एक शब्द के उपरासन्त दूसरे शब्द की उत्पत्ति होती है। अब सोचना चाहिए कि कर्म सदैव रहने वाला तो है नहीं फिर पहिले कर्म उत्पत्तिकिस प्रकार होगी? यदि द्रव्य से, तो कहीं कर्म की उत्पत्ति द्रव्य से और कहीं कर्म से इस प्रकार कर्म के कारण की व्यवस्था ठीक नहीं रहेगी। अतः कर्म का कारण कर्म किसी प्रमाण से सिद्ध नहीं होता। अब इस बात पर विचार करते हैं कि कारण द्रव्य का कार्य द्रव्य नाशक होता है वा नहीं। और कार्य द्रव्य कारण का नाश करता है वा नहीं। द्रव्य में यह गुण औरों से विशेष है।