सूत्र :उभयथा गुणाः 1/1/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : द्रव्य और गुण में यह भेद दिखलाया कि गुण दोनों का नाश करता है। जैसे वह ध्वनि जोकि अर्थवत् शब्दों के निकलने से पूर्व होती है वह शब्दमयी वाणी का कारण है परन्तु शब्दों के निकलने से उसका नाश हो जाता है। शब्दों की समाप्ति पर फिर वही ध्वनि उत्पन्न होकर शब्दों का नाश कर देती हैं अतः गुण अपने कार्य का भी नाश कर देता है और अपने कार्य का भी नाशक है। कुछ आचार्यों के मत में शब्द नित्य है, परन्तु न्याय और वैशेषिक के मत में शब्द आकाश का गुण है, और गुणों के समान नित्य और अनित्य दोनों ही हैं।