सूत्र :तत्त्वं भावेन 2/1/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिसे प्रकार प्रत्येक द्रव्य, गुण और कर्म आदि में रहने वाली सत्ता का गुण है, उसमें सामान्य और विशेष न रहने से भेद नहीं पाया जाता। इसी प्रकार आकाश भी एक है, क्योंकि न तो वह परमाणुओं से मिलकर बनता है, और नहीं सूक्ष्म होने के कारण किसी अन्य द्रव्य का उसमें समावेश ही हो सकता है। जब दूसरे द्रव्यों के कारण उसमें विशेषता हो ही नहीं सकती, न उसमें कारण कार्य का सम्बन्ध होता है, इसलिए आकाश को एक ही मानना ठीक है।