सूत्र :एतेनोष्णता व्याख्याता 2/2/3
सूत्र संख्या :3
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार पृथ्वी में गन्ध, गुण है, उसी प्रकार अग्नि आदि द्रव्यों में विशेषता एक ही गुण समझ लेना चाहिए अर्थात् अग्नि में केवल उष्णता को समझ लेना चाहिए।
प्रश्न- इस सूत्र में केवल उष्णता लिखा है, अग्नि का तो नाम भी नहीं। फिर अग्नि का गुण उष्णता समझ लेना चाहिए, यह कैसे निश्चय हुआ?
उत्तर- अगले सूत्र में इसको स्पष्ट करते हैं।