सूत्र :द्रव्यत्वनित्यत्वे वायुना व्याख्याते 2/1/28
सूत्र संख्या :28
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार किसी द्रव्य के सहारे न रहने से वायु नित्य है, ऐसे ही आकाश भी नित्य है, क्योंकि वह अपनी सत्ता के लिए किसी दूसरी वस्तु की अपेक्षा नहीं करता, और शब्द के गुण होने के कारण उसका द्रव्य होना भी सिद्ध है।
प्रश्न- क्या आकाश भी वायु के समान अनेक है?